Saturday, March 28, 2009
दिल्ली दिलवालों की या पैसे वालों की
मै मुनिरका की एक तंग गली में रहता हूँ। बस रह लेता हूँ । कारण, वो गली इतनी तंग है की हवा भी मुश्किल से आ पाती है। नल में पानी नही आता, खिड़कियाँ दीवालों मे जड़ दी गई हैं। रहना तो यहीं है पर जीना मुहाल है। ऊपर से मकान मालिक का टेंशन , ये मत करो वो मत करो , पानी कम खर्च करो और न जाने क्या क्या, फेहरिस्त लम्बी है। रोज़ सुबह काम पर जाने से पहले प्लास्टिक की बोतलें ले कर पीने का पानी लेने तीसरी मजिल से निचे जाना पड़ता है । अगर कोई आगया मेरे कमरे पर और रात वहीँ लुढ़क गया तो पानी के लाले पड़ जाते है। akki जी के सुझाव से मैंने निश्चय कर लिए की पानी अब २० रुपये वाली बोटेल से खरीद कर ही पियूँगा। सो अब पी रहा हूँ......हाँ थोड़ा खर्चा बढ़ गया है। कोई बात नही पानी का सवाल है। मै पहले भी पानी खरीद कर पी सकता था, लेकिन लगता था औकात से ज्यादा की बात हो जावेगी -यहाँ पैसे का मसला न था बल्कि मेंटल hangover की बात थी।
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1 comment:
Maza aa gaya padh ke. mera dost toh jazzbaati ho gaya kyunki janab govindpuri mein rahte ha. munirka jaisa haal lagbhag puri delhi ka ha yadi app sarkari quarter ko chor de.
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