Saturday, March 28, 2009

मेरे दोस्त मेरे भाई जिंदाबाद, टाटा, सकलडीहा,रामनगर,सामनेघाट और राम-सलाम

मेरा एक दोस्त है उसने लम्बी सफर तै की है ...न..न..न॥ चलने में नही .....दौड़ने में नही ....न ही ghumakari में। अरे उसने २७५ सीसी की नई फटफटियाली है , एक कदम भी पावों पे न वो । तो फ़िर लम्बी सफर कैसी । ये तो अलग मामला है॥ लव .....लव.....लव... समझे ..... उनकी कई प्रेमिकाएं रही हैं ...बच्चे वाली तथा बिना बच्चे वाली...(mwaf करें और कृपया इसे अशलील न समझे) खैर इस बात् के जीकर होते ही वे कन्नी कट जाते हैं। कहते है मैं साफ़ आदमी हूँ , भला प्रेम करने वाले (असाफ़ )होते हैं। कौन समझे और कौन समझाए। इस केस वाले कभी कभी दुखी-दुखी लगते हैं , आपने भी पड़ोस मे देखा होगा। ये भी कभी हो जाया करते हैं। कहते हैं मन नही लगता...उजाड़ सा सुबकुछ लगता है॥ फ़िर ठीक भी हो जाते हैं....और ऐसे जड़ते हैं ...की सुनने वाला ( जैसे की मैं दुखी हो जाता हूँ)। लकिन ये चलेगा मेरे दोस्त। अन्तिम ख़बर मिलने तक ये एक लड़की से लगातार चिपके हुए हैं -फ़ोन पर ... मेरे कमरे पर भी आते हैं तो मुझ से कम फ़ोन से जयादा चोच ladaate हैं....
कन्क्लुसोन- फ़ोन पे पैसे मत खर्चो ...तुम समझदार हो... आगे देखना....
* title मे कुछ शब्द जो आए है वो हम दोनों के कभी पूरक रहे हैं, आज भी हैं और रहेंगे.....

टिप्स.....
इश्वरी नारायण सिंह
वकील साहब की लस्सी
चुंगी का पान
साम्नेघट की धूल
यादव जी की लड़की
पटेल जी का लौज
गंगा का पानी
मालवीय जी की मूर्ति

1 comment:

विनीत कुमार said...

और इन सबके बीच की जिंदगी...टिम लक-लक ते, टिम लक-लक