Wednesday, March 25, 2009

कभी कभी ओके ज़िन्दगी

मेरा क्या होगा कालिया , कल्लू ने पुछा । कालिया क्या बोले , वो तो कुछ नही जानता था। यहाँ कल्लू वो आदमी है जो दिल्ली में आम है खास नही, और कालिया उसका अंतरमन है। में कल्लू और कालिया के बिच हमेशा फंशा रहता हूँ। और मेरे जैसे आम दोस्त। कल की ही बात है अक्की भाई क्रेडिट कार्ड का बिल टाइम पर ना अदा करने के कारन काफी खौफजदा थे॥ उन्हें डर था की कहीं ३५० रुपए के चप्पत फाइन के रूप मे न लग जावे । भाई मिहनत की कमाई आगर लुच्चे-लापारी के हाथ लग जावे या उन सरीखे दलाल बैंक वालो के तो दुःख किसे नही होगा।
गुड न्यूज़ -- सुबह दूरभास पर अक्की जी ने बताया की फाइन नही लगा , तो पार्टी का कुछ सीन बनता है।
एक गैंडे ने इस होली पर उनका बहूत रस्गूला खाया। डकार तक ना ली। अगर आपके हाथ ये ब्लॉग लग जावे तो कृपया उस पेट के दुश्मन को न बतावें , ये मेरी गुजारिश है।

3 comments:

Unknown said...

KA kahe bhaia, ab toh yeh aadat se ho gayi ha ki Chirkut saheb khate, khate han aur khub khate han lekin dakar bhi nahin lete han. AB jaane deejye saheb mera aur Chirkut saheb ka dostana ha. Chalta ha.
so is baar bhi chal gaya.

AAKASH RAJ said...

बहुत सुन्दर आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .........

urban lore said...

Yea accha Laga aap logon ka respone dekh kar...mai aage prayatna jaari rakhnuga.